प्रॉपर्टी इंश्योरेंस को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक

हर किसी को अपने घर, दुकान व अन्य प्रॉपर्टी से गहरा लगाव होता है, जिसमें वे किसी तरह के डैमेज को अनदेखा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में लोग अपनी प्रॉपर्टी के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी को अपनाना एक बेहतर ऑप्शन समझते हैं। 

हालांकि, किसी भी प्रॉपर्टी इंश्योरेंस पॉलिसी को लेने से पहले उस इंश्योरेंस और प्रीमियम पॉलिसी के बारे में पूरी तरह जान लेना बहुत जरूरी होता है वर्ना आपके प्रॉपर्टी के नुकसान के बदले आपको कम पैसे मिल सकते हैं। 

प्रॉपर्टी इंश्योरेंस क्या है?

प्रॉपर्टी इंश्योरेंस या होम  इंश्योरेंस एक तरह का इंश्योरेंस कवरेज है जो आपकी प्रॉपर्टी को आग लगने, चोरी होने या प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई करता है। प्रॉपर्टी इंश्योरेंस, प्रॉपर्टी के हिस्सों, स्ट्रक्चर और प्रॉपर्टी में मौजूद सामान जैसे कि फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और पर्सनल सामान को कवर कर सकता है। यह आपके इंश्योरेंस पॉलिसी के आधार पर लागू होता है। 

प्रॉपर्टी इंश्योरेंस का मुख्य उद्देश्य है कि आपको नुकसान प्रॉपर्टी को रिपेयर या रिप्लेसमेंट करने में मदद मिल सके या फिर उन डैमेज सामानों के बदले पर्याप्त पैसे मिल सके, जिससे कि आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग पर कोई असर न पड़े। 

प्रीमियम कारकों को समझने का महत्व 

प्रीमियम कारकों को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि ये इंश्योरेंस पॉलिसियों की कीमत तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये फैक्टर इंश्योरेंस लेने वाले को यह समझने में मदद करते हैं कि उन्हें कितना मुआवजा मिलेगा। आइए, जानते हैं कि प्रीमियम कारकों को समझना क्यों महत्वपूर्ण है:

  • व्यक्तिगत इंश्योरेंस रेट – इंश्योरेंस प्रीमियम को समझकर उपभोक्ता (consumers) जान सकते हैं कि उम्र, ड्राइविंग हिस्ट्री, स्थान और हेल्थ जैसे कारक उनकी इंश्योरेंस कीमत को कैसे प्रभावित करते हैं, जिससे उन्हें सही फैसला लेने में मदद मिलती है।
  • बेहतर रिस्क मैनेजमेंट – इंश्योरेंस कंपनियां जोखिमों का पता लगाने के लिए प्रीमियम कारकों का उपयोग करती हैं। इन कारकों को जानकर आप प्रीमियम घटा सकते हैं। 
  • बजट और प्लानिंग बनाना – प्रीमियम को प्रभावित करने वाले कारकों को जानकर पर्सनल और बिजनेस के लिए इंश्योरेंस कीमतों की बजट और प्लानिंग बनाया जा सकता है।
  • पॉलिसी की तुलना – प्रीमियम कारकों को समझने से उपभोक्ता कई इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसियों की तुलना कर सकते हैं, जिससे कि उन्हें सही पॉलिसी लेने में मदद मिल सकती है।
  • पॉलिसी में छूट – कुछ इंश्योरेंस कंपनियां एक से अधिक पॉलिसी लेने पर छूट देती हैं। इन छूटों को समझकर उपभोक्ता बेहतर शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं और प्रीमियम को कम करवा सकते हैं।

होम  इंश्योरेंस के प्रकार

होम इंश्योरेंस कई तरह के होते हैं, जो अलग-अलग तरह की प्रॉपर्टी को कवर करते हैं और उसी के अनुसार नुकसान का भरपाई करते हैं। प्रॉपर्टी इंश्योरेंस के प्रकार में ये शामिल है। 

  1. मकान मालिक इंश्योरेंस – यह आपके घर और व्यक्तिगत संपत्ति को आग, चोरी और कुछ प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़ को छोड़कर) से होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा देता है। यह घर की स्ट्रक्चर, अंदर के सामान (फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि), और यदि कोई घायल हो जाए तो कानूनी खर्चों को कवर करता है। साथ ही, अगर घर रहने लायक नहीं रहता, तो अस्थायी रहने की व्यवस्था भी करता है।
  1. किराएदार इंश्योरेंस – यह इंश्योरेंस किराएदारों की व्यक्तिगत संपत्ति (जैसे फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े) को कवर करता है और किराए की जगह में किसी के घायल होने पर उन्हें मुआवजा देता है। यह मकान के स्ट्रक्चर को कवर नहीं करता, जो मकान मालिक की जिम्मेदारी है।
  1. बाढ़ इंश्योरेंस – यह इंश्योरेंस बाढ़ से होने वाले संपत्ति नुकसान को कवर करता है, जिसमें मकान मालिक और किराएदार पॉलिसी शामिल नहीं होता है। यह मुख्य रूप से बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों के लिए होता है।
  1. भूकंप इंश्योरेंस – यह बीमा भूकंप से होने वाले संपत्ति नुकसान को कवर करता है। बाढ़ बीमा की तरह, यह आमतौर पर एक ऐड-ऑन या अलग पॉलिसी होती है, क्योंकि इसे अक्सर मकान मालिक के कवरेज से बाहर रखा जाता है। अधिक भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में यह कवरेज जरूरी होता है।
  1. कमर्शियल प्रॉपर्टी इंश्योरेंस – यह पॉलिसी बिजनेस प्रॉपर्टी के लिए होती है, जिसमें ऑफिस और उसमें रखे सामान या दुकान और दुकान में रखे सामान को कवर किया जाता है।
  1. पर्सनल प्रॉपर्टी इंश्योरेंस – यह पॉलिसी प्रॉपर्टी में मौजूद व्यक्तिगत सामान को कवर करती है, जिसमें फर्नीचर, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि शामिल हो सकते हैं।

प्रॉपर्टी इंश्योरेंस प्रीमियम को प्रभावित करने वाले टॉप फैक्टर्स 

कई कारक प्रॉपर्टी इंश्योरेंस प्रीमियम को प्रभावित करते हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि आपको कितना कवरेज मिलेगा। यहाँ टॉप फैक्टर्स बता रहे हैं-

  1. स्थान
  • अगर प्रॉपर्टी बाढ़, भूकंप, तूफान या जंगल की आग जैसे खतरे वाले क्षेत्र में है, तो प्रीमियम अधिक होगा।
  • आपातकालीन सेवाओं से दूर के प्रॉपर्टी का प्रीमियम अधिक हो सकता है, क्योंकि समस्या आने पर वहां  जल्दी नहीं पहुंचा जा सकता है।
  1. प्रॉपर्टी की स्थिति
  • पुराने घर में सामान भी पुराने होते हैं, जिसे जल्दी नुकसान होने का खतरा बना रहता है। ऐसी स्थिति में प्रीमियम अधिक होता है।
  • हाल ही में रिन्यू किए गए घर, जैसे मॉडर्न प्लंबिंग, किचन सेट और इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर प्रीमियम कम हो सकते हैं क्योंकि इससे प्रॉपर्टी के नुकसान होने खतरा कम होता है।
  1. प्रॉपर्टी बनाने के तरीके

कई बार प्रीमियम को प्रभावित करने वाले कारक में घर बनाने के तरीके पर भी निर्भर करता है। ईंट या पत्थर से बने घरों का प्रीमियम लकड़ी से बने घरों की तुलना में कम हो सकता है, क्योंकि लकड़ी के घर आग लगने से आसानी से जल सकते हैं।

  1. क्लेम हिस्ट्री 
  • अगर आपने पहले भी कई क्लेम किए हैं, तो इंश्योरेंस कंपनी आपको अधिक जोखिम वाला मान सकते हैं, जिससे प्रीमियम बढ़ सकता है।
  • अगर आपके क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं या चोरी के कारण लगातार क्लेम हुए हैं, तो पूरे क्षेत्र के लिए प्रीमियम बढ़ सकता है।
  1. घर की सुरक्षा और सुविधाएँ
  • घर में अलार्म सिस्टम और कैमरे जैसे सुविधाओं से लैस घरों का प्रीमियम कम होता है।
  • प्रॉपर्टी में धुआं और कार्बन डिटेक्टर होने पर प्रीमियम में छूट दे सकते हैं, क्योंकि वे आग के खतरे से बचाने में सहायक होते हैं।
  • फायर स्प्रिंकलर और फायरप्लेस सुविधाएं प्रीमियम को कम कर सकती हैं। वहीं लकड़ी से जलने वाले स्टोव या फायरप्लेस प्रीमियम बढ़ा सकते हैं।
  1. क्रेडिट स्कोर 

कई इंश्योरेंस कंपनियां क्रेडिट स्कोर के आधार पर प्रीमियम निर्धारित करती है। ऐसे में अच्छे क्रेडिट स्कोर होने पर प्रीमियम कम हो सकता है। वहीं खराब क्रेडिट स्कोर से प्रीमियम बढ़ सकता है। 

  1. प्रॉपर्टी का उपयोग 
  • किराये पर दिए जाने वाले प्रॉपर्टी पर इंश्योरेंस प्रीमियम अधिक होता है, क्योंकि लंबे समय तक खाली रहने का जोखिम रहता है।
  • अगर प्रॉपर्टी रहने के लिए है, तो प्रीमियम कम लग सकता है। वहीं प्रॉपर्टी बिजनेस के लिए हैं तो प्रीमियम ज्यादा हो सकता है। 

होम  इंश्योरेंस प्रीमियम को समझना हर प्रॉपर्टी मालिक के लिए जरूरी है। साथ ही उनके प्रॉपर्टी इंश्योरेंस प्रीमियम को कौन से फैक्टर प्रभावित कर सकते हैं,  इसका भी ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि इसी के आधार पर उनके इंश्योरेंस का मुआवजा निर्धारित होता है।

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