यूपी में जमीन की रजिस्ट्री करने में कितना खर्चा आता है?

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यूपी में जमीन की रजिस्ट्री करने में कितना खर्चा आता है?

जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना पैसा लगता है?  रजिस्ट्री कार्यालय, यानी निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री कराने के लिए शुल्क देना होता है। बहुत से लोगों को मालूम नहीं होता कि जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना खर्च होता है? जिन लोगों को सरकारी खर्चों का पता लगाना है, वे रजिस्ट्री कार्यालय में किसी वकील या सलाहकार से पूछते हैं। वकील या सलाहकार इस छोटी सी सलाह के लिए पैसे लेते हैं, लेकिन अब आपको कहीं भी जाकर जानकारी प्राप्त करने की जरूरत नहीं है।

जिस जमीन की रजिस्ट्री करने में कितना खर्च होता है, वह आज का विषय होगा। या बैनामा करने के लिए कितना खर्च होता है? जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना खर्च होगा, जो आप पहले से जानते हैं?। आज हम आपको इन्हीं सभी विषयों के बारे में बताने वाले हैं, इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

जमीन रजिस्ट्री क्या है?

जब कोई जमीन खरीद लिया जाता है, तो कोर्ट उस जमीन को अपने नाम पर रजिस्ट्री कर देता है। इस प्रक्रिया का नाम जमीन रजिस्ट्री है। यदि आप सिर्फ पैसे देकर किसी अनजान व्यक्ति से जमीन खरीद लेते हैं और उस जमीन का कोई भी दस्तावेज नहीं लेते हैं, तो आपको आने वाले समय में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए, जमीन का रजिस्ट्री करवाने के लिए कुछ दस्तावेज की आवश्यकता होती है, जिसमें पहले मालिक का नाम हटाया जाता है और जो व्यक्ति जमीन खरीदता है, उसका नाम दर्ज किया जाता है। यह पूरी कार्रवाई कोर्ट में की जाती है, जहां गवाहों के साथ कई दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। 

यूपी में जमीन की रजिस्ट्री करने में कितना खर्चा आता है?

जमीन रजिस्ट्री करने में कितना खर्चा आता है?

जमीन रजिस्ट्री करने का खर्च अलग अलग जमीन के लिए अलग-अलग होता है। जब आप जमीन खरीदते हैं, सरकार आपकी जानकारी यूपी भूलेख में दर्ज करती है और आपको स्टांप पेपर के जरिए जमीन का मालिकाना हक देती है। स्टांप ड्यूटी इसका भुगतान करती है।

पहले आपको बता दें कि राज्य सरकार राज्य की किसी भी जमीन की कीमत निर्धारित करती है। स्टांप ड्यूटी या रजिस्ट्री का खर्च चार प्रतिशत से आठ प्रतिशत तक होता है। इसके अलावा, सरकार द्वारा निर्धारित जमीन की लागत हर राज्य में अलग हो सकती है।

जमीन का आकार और प्रकार रजिस्ट्री के खर्च पर निर्भर करता है। शहर में जमीन खरीदने पर स्टांप ड्यूटी अधिक होती है, लेकिन गांव में जमीन खरीदने पर थोड़ा कम होती है। इसके अलावा, जमीन को किस उद्देश्य से खरीदा जा रहा है, उसकी कीमत और रजिस्ट्री की लागत दोनों पर निर्भर करती हैं। जैसे बिजनेस के लिए जमीन खरीदने पर अधिक रजिस्ट्री खर्च आता है और खेती के लिए जमीन खरीदने पर कम।

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किस जमीन पर कितना रजिस्ट्री खर्चा आता है?

स्टाम्प ड्यूटी चार्ज, जमीन की रजिस्ट्री में खर्च होने वाले धन का सबसे बड़ा हिस्सा है। यानि सरकार स्टाम्प के माध्यम से आपसे जमीन की रजिस्ट्री की लागत वसूलती है। स्टाम्प ड्यूटी प्रत्येक जमीन पर अलग-अलग होती है। जैसे, गांव में जमीन खरीदने पर कम शुल्क लगता है, लेकिन शहर में इसे खरीदने पर अधिक शुल्क लगता है। भूमि की सरकारी दर या सर्किल दर के अनुसार ये स्टाम्प ड्यूटी शुल्क देना होगा। नीचे पॉइंट के अनुसार, चलिए इसे समझते हैं –

  • गांव में जमीन खरीदने पर सर्किल रेट या सरकारी रेट का 4-5% स्टाम्प शुल्क देना पड़ेगा। यदि किसी जमीन का सर्किल रेट 1 लाख है, तो आपको 5 हजार रुपये स्टाम्प चार्ज देना होगा।
  • शहरों में जमीन खरीदने पर 6-7% सर्किल रेट का स्टाम्प शुल्क देना होगा। यदि किसी जमीन का सर्किल रेट 1 लाख है, तो आपको स्टाम्प चार्ज 7 हजार रुपये देना होगा।
यूपी में जमीन की रजिस्ट्री करने में कितना खर्चा आता है?
  • ग्रामीण क्षेत्र में किसी महिला के नाम पर जमीन खरीदने पर 4% शुल्क देना होगा। यानि अगर किसी जमीन का सर्किल रेट 1 लाख है, तो आपको 4 हजार रूपये स्टाम्प चार्ज देना होगा।
  •  शहरी क्षेत्र में किसी महिला के नाम पर रजिस्ट्री करवाने पर 6% स्टाम्प शुल्क देना होता है। यानि अगर किसी जमीन का सर्किल रेट 1 लाख है, तो आपको 6 हजार रुपये स्टाम्प चार्ज देना होगा।
  • स्टाम्प शुल्क भी होता है। पेपर बनाने की लागत, रजिस्ट्री करने के लिए वकील की लागत आदि

ऊपर बताये गए पॉइंट से आप समझ गए होंगे कि रजिस्ट्री करवाने में मुख्य खर्च स्टाम्प शुल्क है। और ये शुल्क सरकारी दर या सर्किल दर से निर्धारित होते हैं। अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि सर्किल रेट क्या है? तो इसके बारे में भी चर्चा करते हैं। 

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जमीन का सरकारी रेट कितना होता है?

जैसा कि हमने आपको बताया, राज्य सरकार प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग सरकारी दरें या सर्किल दरें निर्धारित करती हैं। किसी भी जमीन को खरीदने से पहले आपको उस क्षेत्र का जमीन सर्कल रेट जानना चाहिए।

आप कोर्ट जाकर किसी भी क्षेत्र के सर्किल दरों को जान सकते हैं। किंतु सरकार के अधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी उपलब्ध है। नीचे दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करते हुए आप अपने क्षेत्र के जमीन दरों को पूरी तरह से समझ सकेंगे –

  • भारतीय स्टांप और रजिस्ट्री की आधिकारिक वेबसाइट https://igrsup.gov.in/igrsup/ पर पहले जाना होगा।
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  • वेबसाइट के होम पेज पर आपको कई विकल्प देखने को मिलेंगे; उनमें से एक, “मूल्यांकन सूची” पर क्लिक करना है।
  • अब आपको अपना जिला सहित सभी विवरण भरना होगा।
  • अब आपको कैप्चा भरकर सबमिट करना है।
  • इसके बाद एक पीडीएफ फ़ाइल डाउनलोड होगी।
  • उस पीडीएफ में आपके पूरे क्षेत्र को विभिन्न सर्कलों में बाँटा गया होगा और हर सर्कल में जमीन का मूल्य बताया गया होगा।

Note – हर राज्य का क्षेत्र कुछ सर्कलों में बंटा हुआ है, और हर सर्कल में जमीन की सरकारी दर अलग है। यह जमीन दर राज्य के अनुसार बदल सकती है, इसलिए उन जमीनों पर रजिस्ट्री खर्च भी बदल सकता है।

निष्कर्ष

आज का लेख जमीन रजिस्ट्री करने का खर्च बताता है। इस लेख में हमने आपको एक चरण-दर-चरण मार्ग बताया है जिसे आप अपने इलाके के सरकारी दरों को जानने के लिए उपयोग कर सकते हैं, साथ ही सरकारी दरों पर रजिस्ट्री खर्च निर्भर करने के कारणों को भी समझाया गया है।

आपको यह भी बता दें कि सरकारी जमीन की कीमतें अलग-अलग हैं, इसलिए रजिस्ट्री रेट अलग-अलग हैं। आमतौर पर जमीन की सरकारी कीमत केवल रजिस्ट्री दर से निर्धारित होती है, जो उससे अधिक या कम कीमत पर जमीन को बेचने पर निर्भर करती है।

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